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कहानी गाथा अन्धविश्वास कुशिक्षा के सिकजें में कैद हम समझदार बेकार अख़बार कितने खराब हो तुम सत्य के कितने कोण रंग अब्र के कितने ज़िन्दगी तेरे कितने रूप

Hindi हम कितने समझदार Poems